Antarvasna-Kamukta

दादी के साथ बहु और बेटी की चुदाई

हैल्लो दोस्तों, में दीनू आप लोगों के सामने अपनी एक सच्ची कहानी पेश कर रहा हूँ. एक बार मेरा ट्रान्सफर बिहार के एक छोटे से गाँव में हुआ था, जहाँ पर मेरे एक सह कर्मचारी की मदद से मुझे किराए पर एक मकान मिल गया था.

उस मकान में कुल 4 सदस्य थे, एक तो धर्मपाल जो कि दुबला पतला 32 वर्षीय मकान मालिक था और रिक्शा चलाकर घर का गुजारा करता था और वो अक्सर रात को देशी शराब पीकर नशे में धुत रहता था. उसकी बीवी 28 वर्षीय सुंदर और आकर्षक भरे बदन वाली महिला थी, उसका नाम धन्नो है और घर में धन्नो की सास जो कि करीब 45 वर्षीय महिला थी और वो भी काफ़ी आकर्षक, कामुकता से भरी महिला थी. में उसे दादी कहकर बुलाता था और धर्मपाल के एक बहन थी, जिसका नाम राधिका है, वो करीब 25 वर्षीय सुंदर और भारी कद-काटी की महिला थी, उसकी शादी नहीं हुई थी, वो एक स्कूल में टीचर का काम करती थी.

उस दिन उनके घर में धर्मपाल की चचेरी बहनें और बच्चे आए हुए थे और हम सब गर्मी के कारण आँगन में एक साथ सोते थे, वो जून के महीने की पहली तारीख थी और समय रात के करीब 12 बजे थे. फिर अचानक से मेरी नींद खुल गयी और में अपने चारो तरफ देखने लगा तो मुझे चाँद की रोशनी में सब कुछ साफ-साफ दिख रहा था. अब में अपने चारो तरफ अपनी आँखें घुमा-घुमाकर देख रहा था तो मैंने देखा कि कुछ जवान लडकियाँ (चचेरी बहनें) अपनी जाँघे और बदन खोले सो रही है, उन लड़कियों में से दो लड़कियों की चूचीयाँ काफ़ी बड़ी-बड़ी थी और उनकी चूचीयाँ उनकी सांसो के साथ-साथ ऊपर नीचे हो रही थी.

फिर मैंने अपने दूसरी तरफ देखा तो मैंने देखा कि दादी मेरे बगल में करवट लेकर सो रही थी और दादी की साड़ी और उनका पेटीकोट उनके चूतड़ तक सरके हुए थे और उनकी टाँगे पूरी तरफ से नंगी हो गयी थी और कुछ कपड़ा उनकी जांघो के बीच में पड़ा था. अब मेरे दिमाग में उनको नंगी देखने की इच्छा जाग उठी थी.

फिर में दादी के और करीब हो गया और थोड़ा नीचे की तरफ सरक गया, जिससे की मेरा हाथ उनकी जांघो के बीच में जा सके. फिर में उनकी तरफ पलटकर लेट गया और धीरे-धीरे अपना एक हाथ दादी की दोनों जांघो के बीच में बढ़ाया और उनकी साड़ी और पेटीकोट को पकड़कर धीरे-धीरे खींचने लगा था.

फिर मैंने अपना सिर उठाकर देखा तो दादी की जांघे पूरी तरफ से नंगी हो गयी थी, तो में उनके कपड़ो को और खींचने लगा और उनके कपड़ो को थोड़ा सा और खींचने के बाद मुझे उनकी चूत दिखाई दी. दादी की चूत पूरी तरफ से बालों से भरी हुई थी.

फिर में अपना सिर तकिए पर रखकर लेट गया और अपना एक हाथ दादी की एक जाँघ पर रखकर उनकी जाँघ पर ऊपर से नीचे तक फैरकर सहलाने लगा था. फिर मैंने अपना एक हाथ धीरे से उनकी चूत पर रख दिया और उनकी चूत को हल्के-हल्के हाथ से फैरते हुए सहलाने लगा, लेकिन मेरी इस हरकत से दादी नहीं जगी और ना ही हिली इसलिए मेरी हिम्मत और बढ़ गयी.

अब मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था तो मैंने अपने दूसरे हाथ से अपनी लुंगी के अंदर से अपना लंड बाहर निकाल लिया. अब में उनकी चूत को और ज़ोर से मसलने लगा था और फिर मैंने अपना लंड दादी के हाथ पर रख दिया, पता नहीं में कितनी देर तक उनकी चूत को मसलता रहा? लेकिन जब मैंने उनकी तरफ देखा तो मेरी गांड फट गयी क्योंकि अब दादी की आँख खुली थी और वो जाग रही थी.

अब में उनको जागते हुए देखकर चौंक गया और झट से अपना हाथ उनकी चूत पर से हटा लिया, लेकिन तभी मुझे महसूस हुआ की दादी अपने एक हाथ से मेरे लंड को पकड़े हुए थी और अपनी हथेली से मसल रही थी.

फिर दादी मेरे पास आई और मेरे पास आकर बैठ गयी और मुझसे उनके साथ चलाने के लिए फुसफुसाकर बोली, तो में भी चुपचाप उठकर उनके पीछे-पीछे चल पड़ा. फिर दादी मुझको अपने कमरे में ले गयी और कमरे में ले जाकर कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और खुद ज़मीन पर बिछे बिस्तर लेट गयी और जमीन पर बिछे बिस्तर पर लेटते ही दादी ने अपनी साड़ी और पेटीकोट खींचकर अपनी कमर तक उठा दिया.

अब उनकी खुली चूत मुझको दावत दे रही थी. फिर दादी अपना ब्लाउज उतारने लगी और थोड़ी देर के बाद उनकी दो छोटी-छोटी ढीली-ढीली चूचीयाँ बाहर आ गयी. अब मुझे उस समय उनकी खुली चूचीयाँ और चूत मेरे लिए दुनिया की सबसे सुंदर चीज़ लग रही थी.

फिर दादी ने अपने दोनों हाथ उठाकर मुझको उनके पास बुलाया और खुद उठकर बैठ गयी और मुझको नंगा कर दिया. फिर उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और सहलाने लगी और फिर मेरे लंड के सुपाड़े का घूँघट निकालकर अपनी मुट्ठी में भरकर मुठ मारने लगी और मेरे लंड को अपनी चूची से सटाकर रगड़ने लगी और अपने हाथों से मेरे अंडो को दबाने लगी थी.

अब उनकी इस हरकत से मेरा लंड खड़ा हो गया था. फिर दादी ने बिस्तर पर लेटाकर मुझको अपने ऊपर खींच लिया और अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत के छेद से रगड़ना शुरू किया.

फिर मैंने उनकी दोनों टांगो को फैलाकर अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के मुँह पर रखकर एक करारा झटका मारकर अपना आधे से ज्याद लंड उनकी ढीली चूत में उतार दिया और अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए फिर से एक ज़ोरदार शॉट मारा तो मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ गहरी घाटी में समा गया, तो वो बोली कि दीनू वाकई में तुम्हारा लंड जानदार है, काफ़ी दिनों से इस चूत को लंड का मज़ा नहीं मिला, चोद मेरे राजा चोद, उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ और में उनकी चूत की चुदाई करता रहा.

कुछ देर के बाद वो भी अपनी कमर उछाल-उछालकर मेरे लंड को अपनी चूत में लेने लगी और में भी जोश में आकर ज़ोर-जोर से उनकी चूत में अपने लंड से धक्का मारने लगा. अब मुझे उनकी चूत जन्नत का मज़ा दे रही थी.

फिर करीब 15 मिनट तक में अपनी दादी की चूत में अपना लंड पेलता रहा, तो इसी दरमियाँ उनकी चूत 2 बार सिकुड़न पैदा करते हुए झड़ चुकी थी और अब में भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका था और फिर मैंने उनकी चूत के अंदर झड़ते हुए उनकी चूत को मेरे लंड रस से लबालब भर दिया.

फिर थोड़ी देर तक हम लोग शांत पड़े रहे और जब हम लोगों की सांसे ठीक हुई तो तब दादी ने मुझे बताया कि करीब 8 साल के बाद उनकी चूत ने आज मेरा लंड खाया है.

फिर थोड़ी देर के बाद दादी की चूत फिर से मेरा लंड खाने के लिए तैयार हो गयी और वो मुझसे बोली कि क्यों फिर से अपनी दादी को चोदेगा? तो यह सुनते ही में फिर से उनसे लिपट गया और उनके ऊपर चढ़कर फिर से उनकी चूत में अपना लंड डालकर उनको चोदने लगा. उस रत हम लोगों ने करीब 4 बार चुदाई का आनंद लिया.

फिर आख़री बार वो अपने हाथ और पैर के बल झुककर उल्टी लेट गयी और मुझसे उनको पीछे से चोदने के लिए बोली, तो मैंने भी उनके पीछे जाकर उनकी चूत में अपना लंड डाल दिया और कभी उनकी चूची तो कभी उनके चूतड़ों को सहलाते हुए उनको चोदता रहा.

फिर यह चुदाई का सिलसिला 10 दिन तक ऐसे ही चलता रहा और में रोज़ रात को अपनी दादी को चोदता रहा और वो मुझसे चुदवाती रही. फिर वो हर रात को मुझसे 3-4 बार अपनी चूत में मेरा लंड डलवाती रही और में उनको पेलता रहा.

फिर दसवीं रात को जब में अपनी दादी को 4 बार चोद चुका था, तो में उनकी चूची से खेलते हुए उनसे बोला कि क्या आप अपनी बहू धन्नो को चुदवाओगी? तो वो मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर बोली कि में तेरी सब कुछ बातें धन्नो से कह चुकी हूँ और तेरी धन्नो ने मुझसे वादा किया है कि वो तेरा हर तरह से ध्यान रखेगी और तू जो चाहेगा, वो तू उनके साथ कर सकता है, अब तुझको धन्नो की चूत चोदने से मेरी चूत से ज़्यादा मज़ा मिलेगा.

उसका बदन भरा हुआ है और उसकी चूची और चूत भी अभी तक टाईट है, धन्नो की चूचीयाँ बड़ी-बड़ी है और उनको दबाने से तुझको बहुत मज़ा मिलेगा और जब तू उसकी चूचीयों को चूसेगा और उसकी चूत में अपना लंड पेलेगा, तो तुझको बहुत मज़ा मिलेगा, लेकिन तू मुझको भूल ना जाना, इस बुढ़िया की चूत को ज़रूर चोदना और चोद-चोदकर मेरी चूत की प्यास बुझाना.

फिर तारीख 11 जून को मेरी दादी अपने एक रिश्तेदार के यहाँ धर्मापाल की चचेरी बहनों को लेकर दूसरे गाँव चली गयी, तो में राधिका दीदी के साथ बात करने में समय बिताने लगा, लेकिन धन्नो जब भी मेरे बगल से गुजरती थी तो वो अपनी चूचीयाँ मेरे कंधों या मेरी पीठ को टच कर जाती थी, वो ऐसा 2-3 बार किया करती थी.

अब जब भी धन्नो अपनी चूचीयाँ मेरी पीठ या कंधों से छूती तो मुझे उनकी चूचीयों का आकर और बड़े होने का एहसास हो रहा था. उनकी चूचीयाँ वाकई में बहुत भारी और बड़ी- बड़ी थी और वो काफ़ी टाईट थी. फिर अगले दिन सुबह और रात को कुछ नहीं हुआ, अब मुझे और धन्नो को अकेले होने का मौका नहीं मिल पा रहा था. अब में काफ़ी परेशान हो रहा था और धन्नो भी मेरे अकेले होने के लिए परेशान हो रही थी.

तारीख 12 जून सुबह जब धर्मपाल बाथरूम में नहा रहे थे और राधिका रसोई में कुछ काम कर रही थी, तो तभी धन्नो मेरे कमरे में घुसी और अपनी साड़ी का पल्लू गिरा दिया तो में सोने का नाटक करते हुए उनको चोर निगाहों से देख रहा था.

अब उनके ब्लाउज के ऊपर के 2-3 बटन खुले हुए थे और उनकी चूचीयों का आधा भाग साफ़-साफ़ दिख रहा था, यहाँ तक की मुझको उनकी निप्पल भी साफ़-साफ़ दिख रही थी.

फिर उन्होंने अपने कपड़े ठीक किए और किचन में चली गयी. आज में बहुत परेशान था, अब में रात को अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था कि अचानक से मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि मेरे एक तरफ धर्मपाल लेटा हुआ था और दूसरी तरफ राधिक लेटी हुई थी और राधिका के बगल में धन्नो लेटी हुई थी, जब राधिका सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज पहने हुए थी और राधिका का पेटीकोट उसके घुटनों के ऊपर तक चढ़ा हुआ था और उसकी एक टांग जाँघ तक नंगी थी.

फिर में हिम्मत करते हुए राधिका के करीब सरक गया और अपना एक हाथ आहिस्ता से उसकी चूचीयों पर रखा और धीरे-धीरे उसकी चूचीयों को दबाने लगा.

अब मेरी इस क्रिया से वो कुछ भी नहीं बोली, लेकिन मैंने महसूस किया कि वो जाग चुकी थी और सोने का नाटक कर रही थी. फिर में अपना एक हाथ राधिका दीदी की नंगी टांग पर रखकर उनकी नंगी जाँघ को सहलाने लगा.

फिर राधिका दीदी ने लेटे-लेटे ही अपने ब्लाउज का बटन खोलकर अपना ब्लाउज उतार दिया. राधिका दीदी ने अपने ब्लाउज के नीचे सफेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी और जब उनको ब्लाउज उतारते देखकर में गर्म हो गया, लेकिन मैंने अपने आप पर काबू रखा. अब में राधिका दीदी के पीछे से मेरा हाथ दीदी की पीठ से होकर उनके चूतड़ तक पहुँचा चुका था. फिर मैंने अपने हाथों से दीदी का पेटीकोट उनके चूतड़ के ऊपर तक खींच दिया और इस समय मेरा हाथ उनकी जाँघ और उनके चूतड़ों को सहला रहा था.

तब राधिका दीदी ने अपने हाथ पीछे ले जाकर अपनी ब्रा के हुक खोल दिए और अपनी ब्रा उतार दी. फिर में राधिका दीदी की चूचीयों को दबाने लगा, उनकी चूचीयाँ बहुत कड़क-कड़क और खड़ी थी, इस समय जब वो मेरी तरफ करवट लेकर लेटी थी तो उनकी चूचीयाँ अपने वजन से नीचे की तरह लुढ़क गयी थी.

राधिका दीदी की चूचीयाँ तो बड़ी-बड़ी थी, लेकिन उनके निप्पल छोटे-छोटे थे. फिर मैंने उनके निप्पल को अपनी दोनों उँगलियों के बीच में लेकर ज़ोर से दबा दिया, तो वो धीरे से मेरे कान में फुसफुसा कर बोली कि आउच, दीनू दर्द करता है, धीरे-धीरे सहलाओ. फिर में उनकी बात मानकर उनकी निप्पल को धीरे-धीरे से सहलाने लगा और फिर उनकी पूरी चूची को अपने हाथ में लेकर धीरे-धीरे दबाने लगा.

फिर मैंने उनकी चूची को सहलाते हुए उनसे पूछा कि पहले किसी ने ऐसे चूची दबाई है? मज़ा आ रहा है ना? तो वो सिसकारी भरते हुए बोली कि बहुत मज़ा आ रहा है, पहले कुछ लड़को ने मेरे कपड़ो के ऊपर से मेरी चूची दबाई थी, लेकिन उसमें मुझे मज़ा नहीं आया था, आज बहुत अच्छा लग रहा है, दबाते रहो. फिर में अपने पेट के बल लेट गया और उनकी दोनों चूचीयों को अपने हाथों में लेकर धीरे- धीरे दबाने और सहलाने लगा.

फिर वो अपनी चूची दबवाते हुए मुझसे बोली कि उूउउफफफफफ्फ़ तुमने तो मुझे पागल ही कर दिया है, मेरे पूरे बदन में चीटियाँ चल रही है, अब मेरी गर्मी और बढ़ गई है, तो मैंने अपने दोनों हाथों को उनके कंधों के नीचे ले जाकर उनको अपने आपसे लिपटा लिया, तो उसने भी अपने बदन से मुझको लिपटा लिया. अब उनकी दोनों चूचीयाँ मेरी छाती से दब रही थी और मुझको उनकी गर्मी का एहसास हो रहा था.

फिर मैंने उनके होंठो को अपने होंठो से लगाकर खूब कसकर चूमा और अपने एक हाथ से उनकी एक चूची को पकड़कर सहलाते हुए अपने दूसरे हाथ को उनके शरीर पर फैरने लगा, उनका बदन बहुत चिकना था. फिर मैंने धीरे से उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उनके पेटीकोट के नाड़े को खोलकर उसको उनकी जांघों के नीचे सरका दिया.

अब मेरा हाथ उनकी कोरी बिन चुदी गर्म चूत के ऊपर था. राधिका दीदी की चूत पर झांटे थी, लेकिन वो मेरे हाथों को रोक नहीं पा रही थी और मेरा हाथ उनकी चूत के होंठो को छूते हुए उनकी चूत के दरवाजे में घुस गया और फिर जैसे ही मेरी उंगली उनकी चूत के अंदर गयी तो उनकी जांघे अपने आप खुल गयी. अब मेरी उंगली ठीक तरीके से उनकी चूत में अंदर बाहर होने लगी थी.

अब उन्होंने मेरे मुँह को अपनी चूची पर कसकर दबा लिया और अपनी जांघों से मेरे हाथ को दबा लिया और छटपटा कर बोलने लगी कि उूउउफफफ्फ़ उसको मत छुओ, नहीं तो में संभाल नहीं पाऊँगी, मेरी जाँघो और चूतड़ों को सहलाओ, लेकिन अपना हाथ वहाँ से हटा लो, लेकिन फिर भी में अपना हाथ उनकी चूत पर फैरता रहा और वो मुझको अपने आपसे लिपटाकर मुझको ज़ोर-ज़ोर से चूमने लगी और अपना एक हाथ मेरी लुंगी में डालकर मेरे लंड को बाहर निकालकर सहलाने लगी, उसकी चूत हल्के भूरे रंग की झांटो से ढकी हुई थी. अब वो अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत के ऊपर रगड़ने लगी थी और अब वो धीरे-धीरे मेरे लंड को अपनी चूत पर ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर की तरफ रगड़ रही थी.

अब पहले तो वो मेरे लंड को अपनी चूत पर धीरे-धीरे रगड़ रही थी और फिर अचानक से उनकी रगड़ने की स्पीड बढ़ गयी और उनके मुँह से सिसकारी निकलने लगी. फिर थोड़ी देर के बाद मुझे उनकी चूत की चिकनाई मेरे लंड के ऊपर होने का एहसास हुआ तो मैंने नीचे की तरफ देखा तो मैंने पाया कि मेरा लंड करीब आधे से ज़्यादा उनकी चूत में घुसा हुआ था.

फिर मैंने जोश में आकर अपनी कमर का दबाव थोड़ा और डाला तो मेरा पूरा का पूरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ उनकी बच्चेदानी से टकरा गया. अब उनके मुँह से सिसकारी निकल रही थी और वो बोल रही थी अहह ओह में मर गयी, अहह बहुत मजाआाआआ, अहह में गयी और फिर उनकी चूत सिकुड़न पैदा करते हुए झड़ गयी और में भी करीब 15-20 धक्को के बाद उनकी चूत में ही झड़ गया. फिर हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही शांत पड़े रहे.

फिर वो मुझको चूमते हुए बोली कि थैंक यू दीनू जी, मुझे ऐसा मज़ा कभी नहीं मिला, तुम बहुत मस्त हो और तुम्हारा लंड खाकर कोई भी लड़की या औरत मस्त हो जाएगी और फिर हमने अपने-अपने कपड़े ठीक किए और अपनी-अपनी जगह पर सो गये, लेकिन बेचारी राधिका को यह बात नहीं मालूम थी कि उसकी भाभी धन्नो मेरे लंड को अपनी चूत से खाने के लिए तड़प रही है. फिर तारीख 15 जून को दिनभर में कई बार धन्नो आते जाते मेरे शरीर से अपनी चूची रगड़कर निकली, लेकिन में उन चूचीयों को पकड़कर दबाने का मौका नहीं पा पाया, लेकिन उस दिन एक घटना घटी, अब पहले तो धन्नो मेरे दफ़्तर जाने के बाद नहाती थी, लेकिन आज शनिवार था और मेरी छुट्टी थी. अब धर्मपाल और राधिका अपने-अपने काम पर निकल चुके थे, तो तब धन्नो मेरे बाथरूम में जाने से ठीक पहले बाथरूम में घुस गयी.

अब में रोज़ की तरह तोलिया लपेटे था और वो सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज पहने हुई थी, तो बाथरूम में जाने से पहले उन्होंने पीछे मुड़कर मुझको इशारा किया कि में भी बाथरूम में घुस जाऊं. इस समय उनके शरीर पर सिर्फ़ पेटीकोट था, जिसको उन्होंने अपनी चूची के ऊपर से बाँध रखा था.

फिर में जल्दी से बाथरूम की तरफ गया और बाथरूम का दरवाजे को धक्का देकर खोल दिया, तो बाथरूम में धन्नो नंगी होकर अपने पैरों को फैलाए हुए खड़ी थी और उनकी चूत के ऊपर कोई भी बाल नहीं था. फिर उन्होंने जल्दी से मुझको अपने पास खींच लिया और मुझको अपने आपसे लिपटा लिया और मेरे कान में फुसफुसा कर बोली कि जल्दी से मौका निकालकर मुझे चोदो, मेरी चूत बहुत प्यासी है. फिर उन्होंने मेरे ऊपर से तौलिया खींचा और जल्दी से मेरा लंड अपने हाथों से पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ने लगी, तो तब उन्होंने अपनी एक टांग को ऊपर उठाकर एक बाल्टी के ऊपर रख लिया और मेरे खड़े लंड को पकड़कर अपनी चूत से सटा दिया.

फिर मैंने भी अपने लंड को धन्नो की चूत से सटा दिया और अपनी कमर हिलाकर एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया और अपनी कमर हिला- हिलाकर उसको खड़े-खड़े चोदने लगा.

अब में उनकी चिकनी बगैर झांटो वाली गर्म चूत को चोद रहा था, तो वो मुझसे लिपटे हुए बोली कि ओह बहुत अच्छे, साले, मादरचोद चोदो, मेरी खुली चूत को चोद साले, तेरा लंड बहुत मस्त है, मारो धक्का ज़ोर से मारो, ऊऊ ऐसे ही मारते रहो, ऊओ आआआहह बसस्स्स्स्सस्स अब में झड़ने वाली हूँ, तू धक्का मार और ज़ोर-ज़ोर से मार.

फिर थोड़ी देर के बाद वो झड़कर चुपचाप हो गयी, लेकिन मेरा अभी तक पानी नहीं निकला था तो में उसकी चूत के अंदर मेरा लंड पेलता रहा और उनकी दोनों चूचीयों को पकड़कर उनकी चूत के अंदर अपना लंड दनादन पेल रहा था, वो इस समय मेरे साथ अपनी चूत चुदवाकर बहुत खुश थी और फिर मैंने भी कुछ पलों में ही उसकी चूत को अपने लंड रस से भर दिया, आज वो काफ़ी संतुष्ट थी. फिर में जब तक वहाँ रहा मैंने उन तीनों के खूब मजे लिए और उनकी खूब चुदाई की.