स्टोरी बड़ी है, यदि आप छोटी स्टोरी को और जल्दी सेक्स की बात करने वाली स्टोरी को पसंद करते हे तो इस story से दूर रहें, इसे पढ़ने वाले को चरम सीमा की प्राप्ति होगी लेकिन आराम से…
यह मेरी पहली स्टोरी हैं, मेरा नाम समीर हैं और मैं नागपुर का रहने वाला हूँ।
मेरी शादी को 8 साल हो चुके हैं और मेरे दो बच्चे भी हैं।
कई दिनों से मैं यह महसूस कर रहा था कि मेरी बीवी नेहा की सेक्स के प्रति रूचि कम होती जा रही हैं। क्योंकि वो खुले विचार की थी इसीलिए मैंने उसे पूछ लिया की आख़िर दिक्कत क्या हैं क्या अब मैं तुम्हे पसंद नहीं।
यह सुनते ही नेहा ने मुझसे कहा – नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं हैं, बस पता नहीं क्यों मेरी पीठ में बहुत दर्द होने लगा हैं।
मैंने कहा कि कल डॉ के पास चलेंगे तुम अपनी समस्या डॉ को बता देना। दूसरे दिन एक लेडी डॉ के पास नेहा को लेकर गया। उस लेडी डॉ ने अकेले में सारी समस्या पूछी और फिर मुझे बुलाया, डॉ ने मुझसे कहा कि नेहा को आराम की सख़्त जरुरत है वरना भविष्य में आप कभी इनके साथ सेक्स नहीं कर सकेंगे। मैंने जैसे ही यह सुना मेरे होश उड़ गए। मैं समझ नहीं पा रहा था की ऐसे कैसे हो गया। मैंने पूछा मुझे क्या करना होगा। डॉ ने कहा फ़िलहाल 2 महीनो के लिए आप अपनी बीवी के साथ सेक्स नहीं कर सकते। मैं परेशान सा नेहा को घर ले आया। नेहा यह बात अच्छे से जानती है कि मुझे सेक्स रोज करना पसंद हैं।
मैं परेशान रहने लगा और नेहा इस बात को भांप गई थी। एक दिन नेहा मेरे पास आकर कहने लगी अगर बिना सेक्स के मन नहीं लग रहा हो तो किसी रंडी को जाकर चोद लो। मैंने नेहा को यह कहकर चुप कर दिया की बहार की औरतों से कैसी कैसी बीमारी हो सकती हैं।
नेहा ने कहा तो आप बताओ की मैं क्या करूँ, मैंने कहा समय आएगा तो बता दूंगा।
करीब 8 दिन बाद नेहा की सहेली हमारे घर आई, जिसका नाम था सोनू , सोनू बला की खूबसूरत थी। मैं तो उसे पहली नज़र में ही चोदने के सपने देखने लगा। गोरा बदन, लंबी कद काठी। नेहा ने मुझे सोनू का परिचय कराया
समीर ये मेरी सहेली सोनू हैं
सोनू ये मेरे पति समीर हैं
आप दोनों आपस में बात करों मैं अभी कुछ चाय, नाश्ता लेकर आती हूँ।
सोनू : समीर जी मैंने नेहा से आपके बारे में बहुत कुछ सुन रखा हैं।
मैं : बहुत कुछ मतलब
सोनू : जैसे की आप मेरी सहेली को कैसे परेशान करते है।
मैं : अरे वो मेरी बीवी है मैं भला उसे क्यों परेशान करने लगा। कहते कहते मेरा ध्यान सोनू के बूब्स पर गया। सोनू के बूब्स की लाइन साफ़ साफ़ दिख रही थी।
सोनू ने मेरी नजर को भांप लिया था। इतने में नेहा भी वहाँ आ गई।
मैंने मुड़ को ख़राब दिखाने के लिए वहाँ से जाना बेहतर समझा। यह मेरी एक चाल थी शायद इससे कुछ कम बन जाएं।
सोनू ने नेहा से पूछा : अरे ये समीर को क्या हुआ अभी तो ठीक था।
सोनू : क्या बताऊँ यार… पूरी बात बता दी
अब तू ही बता चुदाई के ऐसे शौकीन आदमी को पिछले 8 दिनों से कोई चूत ना मिली हो तो वो ऐसे ही फड़फड़ायेगा ना।
यह सुनकर तो सोनू शरमा सी गई। नेहा कैसी बात कर रही है तू।
नेहा ने बड़े गिड़गिड़ाते हुए सोनू से कहा कि अब तू ही मेरे पति को मुझसे दूर होने से बचा सकती हैं।
सोनू : मैं कुछ समझी नहीं
नेहा : क्या तू मेरे पति की कामवासना दूर कर सकती हैं।
सोनू : तू पागल है क्या कुछ भी बोलते जा रही हैं। तू जानती है ना मेरे घर वाले मेरी शादी की बात चला रहे हैं।
नेहा : मैं जानती हूँ इसीलिए कह रही हूँ शादी से पहले अगर चुदाई का तजुर्बा मिल जायेगा तो तेरी मेर्रिज लाइफ शानदार हो जाएगी।
सोनू : तू ये सब क्या कर रही हैं
नेहा : तू एक काम कर आज मेरे घर में रुक जा मैं तुझे सब समझाती हूँ।
सोनू : नहीं मैं ऐसा नहीं कर सकती, मुझे तेरे इरादे कुछ ठीक नहीं लग रहे।
नेहा : अरे पगली, मैं कोई तुझे चोद थोड़ी दूंगी, मेरे घर में बच्चे भी हैं। सबका ध्यान रखना पड़ता हैं। सिर्फ आज रुक जा मैं तुझे सब समझाती हूँ।
सोनू : ठीक है। (सोनू ने घर पर फ़ोन कर दिया रुकने का बताने के लिए)
मुझे जैसे ही पता चला की सोनू आज रात रुक रही है। मैं समझ गया कि जो काम मुझे करना था वो अब नेहा मुझे करके दे रही हैं।
नेहा ने रातभर पता नहीं क्या पट्टी सोनू को पढ़ाई, की दूसरे दिन नेहा ने मुझे बताया कि नेहा अब कुछ दिनों तक हमारे घर में ही रुकेगी।
मैंने पूछा की घर में क्या बताया है उसने
नेहा : उसने कहा है कि नेहा की तबियत खराब है इसीलिए मदद के लिए उसे रुकना पड़ेगा।
मैंने नेहा से कहा, मगर ऐसा क्यों..?
नेहा डर रही थी की वो कैसे मुझे बताये की तुम्हारी ही व्यवस्था में लगी हूँ।
दूसरे दिन, सोनू मेरे साथ नाश्ते के लिए बैठी थी। वो मुझे लगातार घूर रही थी, लेकिन मैं उसे नजरअंदाज कर रहा था।
मैं ऑफिस का कह के चला गया। शाम को मैंने देखा की सोनू ने नेहा का शॉर्ट्स जो की वो पार्टी में पहनती है पहनी थी ।
मैंने पूछा सोनू नेहा और बच्चे कहा हैं..?
सोनू : वो सब अपने मामा के घर गए है और बच्चे वही रुकेंगे सिर्फ नेहा आ जाएगी।
मैंने कहा ठीक हैं।
सोनू : आप जाकर नहा लीजिये मैं खाने की तैयारी करती हूँ।
मैं : ठीक हैं
मैं बाथरूम में नहाने चला गया। नहाने के बाद में टॉवल में ही रूम में खड़ा था कि इतने में सोनू आ गई। वो गेट पर खड़े खड़े मुझे निहार रही थीं। मैं टॉवल में खड़ा कांच में खुद को देख रहा था। कि इतने में मेरी नजर कांच में पड़ी जिसमे मुझे सोनू दिख रही थी। मैंने सोनू को नजरअंदाज कर लंड को मसलना शुरू किया।
तुरंत मेरा लड़ खड़ा हो गया और टॉवेल के बाहर आ गया। मैंने चोर नजरों से कांच में देखा की सोनू की आँख फटी की फटी रह गई।
मैं समझ गया कि अब मेरा काम हो गया हैं।
फिर मैंने देखा की सोनू वहाँ से पीछे हुई और जोर से आवाज लगा कर अंदर आने को हुई
समीर चलो खाना रेडी हैं। मैंने आवाज लगाई आ रहा हूँ।
मैंने जान भुझकर अंडरवियर नहीं पहनी सिर्फ पैजामा पहन लिया और ऊपर से बनियान।
मैंने पूछा सोनू तुमने ये शॉर्ट्स क्यों पहन रखा है कही पार्टी में जाना है क्या..?
सोनू : नहीं, वो मेरे पास और कपडे नहीं थे मुझे नेहा की सिर्फ यही ड्रेस फ़ीट हुई।
मेरे मुहँ से अचानक निकल गया, हाँ तुम्हारे उससे काफी बड़े है इसीलिए
सोनू : म.. मतलब..?
मैं : म.. माफ़ करना वो गलती से निकल गया। वैसे तुम इस ड्रेस में ओर भी सुन्दर लग रही हों।
सोनू : थैंक्स
फिर हमने खाना खाया और सोफे पर बैठे बैठे बात करने लगें।
मैं : सोनू एक बात पुछु..?
सोनू : हाँ पूछिये
मैं : मेरी और नेहा की शादी को 8 साल हो गए तुमने अब तक शादी क्यों नहीं की।
सोनू : जोर से हँसने के बाद.. अरे बाबा नेहा मुझसे 7 साल बड़ी है हम स्कुल, कॉलेज फ्रेंड नहीं बल्कि ऑफिस फ्रेंड हैं। पहले में नेहा मेडम कहती थी लेकिन नेहा ने मना किया कि तुम मुझे नाम से बुलाया करों तब से हम अच्छे दोस्त बन गए।
मैं यह सुन कर बहुत खुश हुआ
मैंने कहा : तब तो तुम्हारा बॉय फ्रेंड जरूर होगा
सोनू : बिलकुल नहीं, मुझे ये सब फालतू बाते पसंद नहीं हैं।
मैं : अचानक से.. मतलब तुमने अब तक सेक्स नहीं किया..?
सोनू : क्या..?
मैं : मेरा मतलब…
सोनू : हाँ, अब तक नहीं किया हैं…
मैं : नेहा से फ़ोन करके पूछो की वो कब तक आएगी।
सोनू : हेल्लो, नेहा आपके पतिदेव पूछ रहे हैं कि आप कब तक आओगी।
(फ़ोन रखने के बाद) वो कह रही है उसे आने में 2 घंटे और लगेगा।
मैं : तब तक हम क्या करें
सोनू : कोई ताश खेले
मैं : ठीक हैं, लेकिन एक शर्त हैं
सोनू : शर्त.. कैसी शर्त
अगर मैं जीता तो मैं जो कहूंगा तुम्हे वो करना पड़ेगा और यदि तुन जीती तो जो तुम कहों..
सोनू ठीक हैं…
हम ताश में रमी का गेम खेलने लगे। पहली बार में जानकार हार गया।
सोनू : ख़ुशी से होये होये, मैं जीत गई.. अब मैं जो कहूँगी आपको करना पड़ेगा।
मैं : हाँ बताओ क्या करूँ
सोनू : बताओ ऐसी कौनसी चीज है जिसके बिना आप नहीं रह सकते.. सच सच बताना…
मैं : सेक्स
सोनू : (जोर से हँसते हुए) मुझे पता था
फिर नया गेम शुरू हुआ
अब मैं जीत गया
सोनू : झूठी नाराजगी दीखते हुए, अरे यार बताइये मुझे क्या करना हैं।
मैं : अपना कोई भी एक कपडा उतार दों
सोनू : क्या..? नहीं ये तो चीटिंग हैं..
मैं : नाराज होते हुए.. गलत बात हैं
सोनू : ठीक हैं.. और झट से टीशर्ट के ऊपर का स्कार्फ हटा दिया।
(शायद सोनू को लगा, वैसे भी स्कार्फ स्टाइल के लिए होता हैं क्या फर्क पड़ेगा)
लेकिन सोनू की किस्मत ने फिर धोखा दिया और मैं फिर जीत गया।
मैं : चलो फिर एक नया कपड़ा
सोनू : नहीं आप कुछ और बोलिये
मैं : नहीं जो बोल रहा हूँ वो ही करों
सोनू ने धीरे से टीशर्ट उतार दी (अब ब्रा मैं वो अप्सरा लग रही थी) मेरी नजर उसके बूब्स पर से हट ही नहीं रही थी।
अगली चाल सोनू जीत गई (मुझे लगा की सोनू फिर से टीशर्ट पहनने का बोलेगी, लेकिन मैं गलत था)
सोनू : चलो अब आप भी उतारो एक कपडा
मैं हैरान रह गया, मैंने अपना बनियान उतार दिया अब मैं ऊपर से नंगा हो चूका था।
नेहा मेरी छोड़ी छाती देकर कर मदमस्त हो रही थीं।
मैं फिर से गेम जीत गया लेकिन मुझे इस बार कहना नहीं पड़ा और सोनू ने खुद ही अपनी स्कर्ट उतार दी।
(अब सोनू सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी)
अब सोनू मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही थी।
मैंने अगली चाल के लिए पत्ते बाँटें। अब एक बात तो तय थी की अगर मैं जीता तो मुझे सोनू के बूब्स देखने को मिलेंगे और यदि सोनू जीत गई तो मैं पूरा नंगा हो जाऊंगा क्योंकि मैं अंदर अंडरवेयर नहीं पहना था। अगर ऐसा होता तो गेम ख़तम हो सकता था।
लेकिन किस्मत मेरे साथ थी, मैं ही जीता
सोनू ने अपना ब्रा भी उतार दिया
अब मैंने छेड़ते हुए कहा
सोनू मैडम अब क्या करोगी अब तक आखरी पड़ाव पर खेल पहुँच गया हैं।
सोनू : खेल शुरू आपने किया है खत्म मैं करुँगी। गुस्से में पत्ते बाँटने लगी।
इस बार सोनू जीत गई, मैंने सोनू से कहा मैं पैजामा नहीं उतार सकता।
सोनू : क्यों..? ऐसा नहीं चलेगा..
मैं : वो क्या है कि मैंने अंदर कुछ पहना नहीं हैं..
सोनू : हा हा हा तो क्या हुआ शर्त तो मानना पड़ेगा।
मैंने जल्दी से पैजामा उतार दिया और बिना सोनू को मौका दिए तुरंत पत्ते बाँटने लगा। (कही मेरे नंगा होते ही सोनू और खेलने का मना ना करदे)
इस बार फिर किस्मत चमकी और मैं जीत गया
सोनू ने शरमाते हुए पेंटी भी खोल दी
सोनू : समीर अब यह सब बंद करो अब तो हमारे तन पर कोई कपडा नहीं बचा अब कैसे खेलेंगे।
मैं : तुम देखती जाओ (कहते हुए मैंने फिर पत्ते बाँट दिए)
मैं फिर जीत गया।
सोनू : बताओ अब क्या करना हैं
मैं : चलों मुझे जल्दी से किस करों
सोनू समझ गई थी की अब यह खेल नहीं रहा।
वो उठी और करीबन 5 min तक आपस में लिप् किस चलता रहा।
फिर जीतने की बारी थी सोनू की
सोनू : आजाओ और मेरे बूब्स को चुसो
मैं तो जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रहा था। 15 min तक बूब्स को चूसने के बाद मैं हटा और सोनू से कहा कि अब खेल में समय बर्बाद नहीं करते। अब एक बार तुम्हारी बात और एक बार मेरी
सोनू तैयार हो गई
सोनू के बूब्स एक दम बड़े बड़े और गोल थे। गुलाबी निप्पल होने से ओर सुन्दर लग रहे थे।
मैं : अब तुम मेरा लंड हिलाओ
सोनू ने लंड हिला हिला कर खड़ा कर दिया
सोनू : अब तुम मेरी चूत में ऊँगली डाल दो
10 min तक ऊँगली करते हुए सोनू 2 बार झड़ गई।
सोनू बहुत गरम हो चुकी थी मगर यह खेल खेलने में उसे बहुत मजा आ रहा था।
मैंने कहा अब तुम मेरा लंड चुसो
सोनू झट से लंड को मुहँ में लेकर चूसने लगी, चूसते चूसते मैं सोनू के बूब्स को लगातार दबा रहा था।
सोनू ने चूसते चूसते मुझे झड़ने पर मजबूर कर दिया और मैं सोनू के मुँह में ही झड़ गया।
सोनू को पहले तो बड़ा अटपटा सा लगा लेकिन मेरा लंड बहार ना निकालकर उसने पूरा माल पी लिया।
सोनू : अब तुम मेरी चूत चाटो
मैंने तुरंत सोनू की टाइट चूत को जीभ से चाटना शुरू किया, सोनू मानो पागल हो रही थी। लेकिन मैं रुका नहीं सोनू झड़ने से पहले गांड उचका उचका कर बता रही थीं की वो झड़ने वाली है और आखिर वो मेरे मुहँ में झड़ गई। वो निढाल सी पड़ी रही अब मैंने धीरे धीरे उसके बूब्स को सहलाना शुरू किया थोड़ी देर में वो फिर से जोश में आ गई और उसमें मेरे लंड को सहलाया और टाइट कर दिया।
सोनू ने कहा अब और मत तड़पाओ जल्दी से मेरी सील तोड़ दो और मुझे जिंदगी की पहली चुदाई का अहसास कराओ।
उसे शब्द सुनकर मैं और भी जोश में आ गया और मैंने अपना 7 इंच का लंड एक झटके में आधा चूत में घुस दिया, इतने में ही सोनू की चूत में से खून निकलने लगा।
सोनू जोर से चीखी ( आ.. बहार निकालो इसे जल्दी से बहार निकालों, मैं मर जाउंगी..)
मैं रुकने के मूड में नहीं था कि अचानक सोनू की आवाज बंद हुई, कारण सुन कर आप हैरान रह जायेंगे.. सोनू को कोई लिप किस कर रहा था और वो मैं नहीं बल्कि नेहा थी।
नेहा घर में कैसे आई और हमें ऐसा देखकर गुस्सा होने के बजाये वो सोनू को किस कर रही हैं। मैं यह सब सोचते हुए सोनू की चुदाई कर रहा था। मैंने एक और झटके से पूरा लंड सोनू की चूत में घुसा दिया। सोनू की आँखे फटी की फटी रह है और चीख़ जैसे नेहा के मुँह में ही रह गई। वो छटपटाने लगी। लेकिन थोड़ी देर में धक्के खाने के बाद उसका दर्द कम हुआ। दर्द कम होते ही नेहा ने किस करना बंद कर दिया। मैंने चुदाई रोक दी, नेहा ने कहा समीर रुको मत करते रहो अपने 8 दिन के अरमान निकाल लो।
यह सुनते ही मैंने चुदाई फिर शुरू कर दी। करीब 10 min की जोरदार चुदाई के बाद मैंने सोनू को पलटाया और खुद सारा थूक सोनू की गांड पर लगा दिया सोनू कुछ समझ पाती इससे पहले की नेहा ने फिर से सोनू को पकड़कर किस शुरू कर दिया। सोनू समझ गई की कुछ दर्दभरा सा होने वाला हैं।
और इस बार मैंने एक झटके में ही पूरा लंड गांड में पैल दिया। सोनू की चीख को इस बार नेहा भी नहीं रोक सकी।
नेहा ने कहा समीर जल्दी से बहार निकालो सोनू को बहुत दर्द हो रहा था। मैंने धीरे से लंड बहार निकाला और फिर से घुसा दिया। सोनू जैसे बेहोश होने वाली थी। 8 से 10 झटको के बाद सोनू को मजा आने लगा।
और 15 min की गांड चुदाई के बाद मैंने पूछा बताओ कहा निकालू।
सोनू ने मुँह खोल दिया और मैं सोनू के मुहँ में झड़ गया।
हम दोनों निढाल से पड़े रहें। थोड़ी देर में नेहा कड़क चाय बनाकर लाई। और कहा कि लो इससे दोनों को ताकत मिलेगी।
मैंने आश्चर्च से कहा कि तुम यह सब देखकर भी गुस्सा नहीं हो और तुम अंदर कैसे आई तुम तो बच्चों के साथ उनके मामा के घर गई थी।
तभी सोनू और नेहा जोर जोर से हँसने लगे।
नेहा : तुम भी बहुत सीधे हो, यह सब मेरी ही प्लानिंग थी। मैंने तो बच्चों को स्कुल से सीधे मामा के घर भिजवा दिया था। और मैं तो कही गई ही नहीं। और ये ताश खेलने की प्लानिंग भी मेरी थी मैं जानती थी की तुमने मेरे साथ भी ऐसा कई बार किया हैं। कल ये सब मजे के बारे में सोनू को पहले ही बता दिया था। सुनके ही सोनू झड़ गई थी। आगे के बारे में तो तुम जानते ही हों…