Antarvasna-Kamukta

जंगल में चोदी बन्नो की प्यासी चूत

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम अभय है और में जिस मकान में किराएदार की हेसियत से रहता था, वो परिवार थोड़ा ग़रीब था, उस परिवार में 2 भाई और उनकी पत्नियाँ रहते थे। बड़ा भाई हरनाम सिंह जो कि करीब 43 वर्षीय दुबला पतला इंसान था और उसकी पत्नी लाजो जो कि करीब 38 साल की लाजवाब सुंदर कमसिन महिला थी, वो शरीर से भी काफ़ी आकर्षक थी। उसका छोटा भाई प्रीतम सिंह जो कि करीब 39 साल का था और अपने बड़े भाई की तरह दुबला पतला था और उसकी पत्नी बन्नो जो कि करीब 35 साल की भारी बदन वाली महिला थी। उन दोनों भाइयों को कोई औलाद नहीं थी, वो दोनों भाई मज़दूरी करते थे और उनके खेती बाड़ी भी थी, जिससे उनका गुजारा चलता था।

अब में कुछ ही दिनों में उनके घर का सदस्य बन गया था। में पढ़ा लिखा और सरकारी कर्मचारी था, इसलिए वो लोग मुझको काफ़ी सम्मान देते थे और में भी उनको पैसो की मदद किया करता था। फिर कुछ ही महीनों में मैंने महसूस किया कि उन दोनों की पत्नियाँ काफ़ी सेक्सी थी, शायद उनको उनके पति संतुष्ट नहीं कर पाते थे, क्योंकि शाम होते ही वो दोनों भाई देशी शराब पीकर फुल टाईट होकर सो जाते थे। फिर एक दिन हरनाम और प्रीतम को मज़दूरी के सिलसिले में 15 दिनों के लिए दूसरे शहर जाना पड़ा। तब उन्होंने मुझसे कहा कि में उनकी पत्नी, घर और खेती का ख्याल रखूं, इसलिए मैंने भी दफ़्तर से 15 दिन की छुट्टी ले ली थी और हर सुबह जब लाजो और बन्नो खेत पर जाती, तो में भी उनके साथ खेतों पर जाकर उनकी मदद करता था और उस दिन भी हमेशा की तरह में उनके साथ खेत पर चला गया।

अब लाजो खेत में काम करने लगी और मुझको बोली कि अभय तुम बन्नो के साथ जाकर जंगल से लकड़ियाँ ले आओ। अब में और बन्नो जंगल में बैलगाड़ी लेकर लकड़ियाँ चुनने निकल पड़े। बन्नो बहुत सेक्सी महिला थी। फिर बन्नो मुझे जंगल में ले गयी, वो जंगल बहुत वीरान था। फिर में और बन्नो लकड़ी ढूँढते हुए जंगल में बैलगाड़ी खड़ी करके करीब 400-500 मीटर की दूरी तक निकल आए। फिर मैंने बन्नो से कहा कि हम बहुत दूर आ गये है, कहीं हम रास्ता भूल गये तो। फिर बन्नो बोली कि उसकी चिंता मत करो उसको सारे रास्ते पता है और यह कोई ज़्यादा दूर नहीं है, कभी-कभी तो 1-2 किलोमीटर तक चलना पड़ता है। अब इस बीच हम लोगों ने थोड़ी बहुत लकड़ी ज़मीन से चुनकर करके एक जगह पर रखनी शुरू कर दी थी। अब बन्नो मुझसे मेरे बारे में पूछने लगी थी कि मेरी शादी हुई या नहीं? परिवार में कौन-कौन है? तो तब मैंने उसे बताया कि अभी मेरी शादी नहीं हुई है। अब बस हम ऐसे ही बातें करते हुए लकड़ियाँ चुनकर एक जगह पर रखने लगे थे कि अचानक से हमें एक पेड़ नज़र आया जो आधा सूखा हुआ था और जिससे सूखी लकड़ी काटी जा सकती थी।

फिर बन्नो ने मुझसे पूछा कि क्या में पेड़ पर चढ़ सकता हूँ? तो मैंने कहा कि बन्नो जी में तो शहरी आदमी हूँ, मुझे पेड़ पर चढ़ना नहीं आता है। तब बन्नो ने पेड़ पर चढ़ने का फ़ैसला किया और उसने पहले तो अपनी साड़ी ऊपर से उतारकर अच्छी तरह से अपने पेटीकोट पर लपेट ली और उसके बाद अपने पेटीकोट को थोड़ा ढीला करके उसे ऊपर से एक दो बार फोल्ड करके थोड़ा ऊँचा कर लिया, जिससे उसके पैर घुटनों तक साफ नज़र आने लगे। फिर उसके बाद वो पेड़ पर चढ़ने लगी तो उसका पेटीकोट और साड़ी और ऊपर सरक गया, तो मुझे उनकी नंगी गोरी चिकनी टागें एकदम साफ़-साफ़ दिखाई देने लगी। फिर थोड़ी देर में ही वो पेड़ पर जाकर सूखी डाल को काटकर नीचे गिराने लगी और में नीचे से गिरी हुई लकड़ियों को इकट्टा करने लगा।

अब जब वो एक डाल को काट रही थी तो बन्नो अपना एक पैर दूसरी डाल पर रखकर डाल को काटने लगी थी, जिस कारण उनके दोनों पैरों के बीच में काफ़ी फासला हो गया था। अब में नीचे ज़मीन पर था और ऊपर कटी लकड़ी को पकड़ने के लिए देख रहा था, लेकिन अचानक से मेरा ध्यान लकड़ी की बजाए कहीं और पहुँच गया। अब मेरे ठीक ऊपर बन्नो की नंगी टांगे, जांघे और यहाँ तक की उसकी चूत का एरिया भी दिखाई देने लगा था। गाँव की महिलाए अक्सर ब्रा और पेंटी नहीं पहनती है, उनकी टांगे एकदम गोरी थी और फिर जैसे-जैसे मैंने दुबारा ऊपर की तरफ देखा तो उनकी चूत के आस पास घने काले-काले बाल दिखाई दिए, जिन्होंने उसकी चूत के मुँह को छुपा रखा था। अब मेरा मन कर रहा था कि वहाँ जाकर उसके पैर से लेकर ऊपर तक के सारे हिस्से को चूम लूँ, लेकिन में संकोच के मारे ऐसा नहीं कर सका।

फिर जब उसकी नज़र मेरे ऊपर पड़ी और उसने महसूस किया कि में उसके पेटीकोट के अंदर का नज़ारा देख रहा हूँ, तो उसने मुस्कुराकर अपनी टांगो को और फैला दिया, जिस कारण मुझे उसकी चूत के दर्शन तो नहीं हुए, लेकिन उसकी झांटो का दीदार मिल गया। फिर आधे एक घंटे में बन्नो ने उस पेड़ से करीब-करीब सारी सूखी डाले काटकर नीचे गिरा दी और मैंने उनको एक जगह पर इकठ्ठा कर लिया। फिर बन्नो पेड़ से नीचे उतरने लगी, लेकिन एक प्रोब्लम थी। अब वो ऊपर तो चढ़ गयी थी, लेकिन उसको नीचे उतरना मुश्किल लग रहा था, क्योंकि पेड़ की डाल और जमीन में फासला ज़्यादा था और वो उतनी हाईट से छलांग नहीं कर सकती थी। फिर बन्नो ने मुझसे कहा कि में नीचे छलांग लगाऊँगी तो तुम मुझको थोड़ा सहारा देना, ताकि में सीधी नीचे जमीन पर ना गिर सकूँ, तो मैंने कहा कि ठीक है।

फिर बन्नो ने नीचे छलांग लगाई तो में उसके वजन को नहीं संभाल पाया और जैसे ही मैंने उसको थामना चाहा, तो हम दोनों जोर से ज़मीन पर गिर पड़े। अब जब बन्नो ने नीचे की तरफ छलांग लगाई तो बन्नो का पेटीकोट और साड़ी हवा के जोर से उनकी जांघ तक आ गये, जिसकी वजह से मेरा ध्यान बदल गया और घहबराहट की वजह से में उसको थाम नहीं पाया था, इसलिए वो मेरे ऊपर गिर पड़ी थी। अब में अपनी पीठ के बल नीचे गिरा और वो मेरे ऊपर गिरी थी। अब उसकी कड़क चूचियाँ मेरी छाती से दबने लगी थी और मेरे दोनों हाथ उसके चूतड़ को थामे हुए थे। फिर मैंने महसूस किया कि उसने अपने ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनी थी और जब हम दोनों की नज़रे मिली तो वो शर्म के मारे लाल होकर मुस्कुराने लगी। फिर पहले बन्नो उठी तो उन्होंने पहले अपने पेटीकोट को ठीक किया और फिर अपनी पूरी साड़ी उतार दी।

अब मुझे शर्म आने लगी थी तो मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया। फिर बन्नो बोली कि अभय शरमाते क्यों हो? अरे जब मुझे शर्म नहीं आ रही, तो तुम क्यों शरमाते हो? और फिर आसपास भी कोई नहीं है, तुम्हारी शादी होगी तो क्या पत्नी से भी ऐसे ही शरमाओगे क्या? बेवकूफ़ कहीं के। फिर इस दौरान बन्नो ने अपने पेटीकोट की गाँठ खोलकर पहले उसे ठीक किया और फिर अपने पेटीकोट को टाईट बांधकर अपनी साड़ी पहननी शुरू कर दी। फिर उन्होंने बिना शरमाये अपने ब्लाउज के सारे बटन खोलकर अपना ब्लाउज भी दुबारा से एड्जस्ट किया। फिर जब बन्नो के ब्लाउज के सारे बटन खुले तो मुझे बन्नो के गोल-मटोल चूचियों का कुछ सेकेंड्स के लिए नज़ारा करने का मौका मिल गया। अब बन्नो के नंगे बदन का नज़ारा देखकर आज मेरी आँखों की प्यास तो बढ़ ही गयी थी और साला मेरा लंड भी नीचे से ज़ोर मारने लगा था, लेकिन बन्नो बड़ी बिंदास महिला थी तो वो बोली कि अरे कैसे मर्द हो? जो एक औरत को नंगा देखकर लड़कियों की तरह शरमाते हो, ज़रा मज़ा मस्ती किया करो अरे हमारा मर्द तो साला दिनभर मेहनत मज़दूरी करके रात में शराब पीकर सो जाता है और अगर कुछ करेगा भी तो हमारे मजे की परवाह किए बगैर हमारी टांगो के बीच में चढ़ जाएगा। वो हमारे मन की मुराद तो पूरी करता ही नहीं है, हमको क्या पसंद है क्या नहीं है? बस ऐसे ही धक्के पेलते हुए 3 साल हो गये है। फिर पता नहीं बन्नो को क्या लगा? और बोली कि अरे में भी क्या कहने लगी? और अपना रोना लेकर बैठ गयी, अभय हमको माफ कर दो, तुम तो गैर हो और जैसा तुमको ठीक लगे वैसा करना, तुम जैसा सुंदर जवान को देखकर मेरा मन भी साला फिसल गया था और अगर तुमको बुरा लगे तो माफ करना। हम तो गंवार लोग है और हमें बोलने की तमीज़ नहीं है। फिर मैंने कहा कि नहीं बन्नो ऐसी बात नहीं है, आप बहुत सुंदर और समझदार हो और इस बार बन्नो मुस्कुरा दी और बोली कि सच? तो मैंने कहा कि हाँ बिल्कुल, तो तब हम दोनों उस पेड़ के नीचे बैठ गये और बातें करने लगे। अब बन्नो ने अपना एक हाथ मेरी जांघो पर रखा था और बीच-बीच में किसी बहाने से मेरी जांघो पर अपना हाथ फैर रही थी। दोस्तों ये कहानी आप चोदन डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

अब मुझे भी इसमें बहुत मजा आ रहा था। फिर वो बोली कि अभय हमारा मर्द केवल नाम का मर्द है, वो कभी भी प्यार नहीं करता है और हमें गर्म करके खुद ठंडा हो जाता है, बन्नो बड़ी बिंदास बातें करती थी। फिर बन्नो मुझसे बोली कि अभय तुम अपनी औरत के साथ ऐसा मत करना। अब बन्नो ने मुझे उत्तेजित करना चालू रखा, तो फिर मुझे भी जोश आने लगा। अब इतने में बन्नो उठी और थोड़ी दूर जाकर अपनी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठाकर पेशाब करने लगी, जिससे मुझे उसकी बड़ी-बड़ी गांड के दर्शन होने लगे और वो जब पेशाब करके वापस मेरे पास बैठी, तो उसकी नज़र मेरे लंड पर पड़ी, जो कि अब मेरे पजामे के अंदर तंबू की तरह खड़ा था। फिर वो उसे देखकर बोली कि हाए राम यह क्या हुआ? तो मैंने पूछा कि कहाँ? तो वो मेरे लंड को पकड़कर बोली कि यह तो तैयार हो गया है और फिर मेरे पजामे के बटन खोलकर मेरा पूरा लंड बाहर निकाल लिया और उसे सहलाने लगी। फिर में भी उसे अपनी बाहों में भरकर चूमने लगा और उसकी कठोर चूचियों को दबाने लगा।

फिर हम दोनों ने करीब 10-15 मिनट तक एक दूसरे को चूमना और सहलाना जारी रखा। फिर उसने अपनी साड़ी खोलकर ज़मीन पर बिछा दी और अपना पेटीकोट अपनी कमर तक ऊपर सरकाकर लेट गयी। अब में भी 69 की पोज़िशन में होकर उसे अपना लंड चुसवाने लगा और उसकी चूत को चाटने लगा, उूउउफ़फ्फ़ क्या कयामत चूत थी? उसकी भीनी-भीनी खुशबू ने तो मुझे पागल ही कर दिया था। अब वो भी मेरे लंड को चूस-चूसकर मज़े ले रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद वो मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकालकर बोली कि अभय अब सहन नहीं होता है, जल्दी से अपना मूसल सा लंड मेरी चूत में पेल दो मेरे राजा। फिर मैंने उठकर उसकी दोनों टांगो को फैलाकर उसकी चूत के मुँह पर अपना लंड का सुपाड़ा रखकर एक धक्का मारा तो मेरा लंड का मोटा सुपाड़ा उसकी चूत को चीरता हुआ उसकी चूत में समा गया।

अब जैसे ही मेरा सुपाड़ा उसकी चूत के अंदर घुसा, तो उसके मुँह से आवाजे निकलने लगी, उूउउइईईईईईई माँममममाआआआआ कितना मोटा लंड है अभय तुम्हारा? लगता है आज ये इस प्यासी चूत की प्यास बुझाकर ही रहेगा और यह सब सुनकर मुझे जोश आ गया और मैंने अपनी कमर उठाकर एक ज़ोरदार धक्का मारा तो मेरा आधे से ज़्यादा लंड उसकी चूत में समा गया। फिर वो बोली कि उूउउफफफफफ्फ बड़ा जालिम लंड है तुम्हारा, फाड़ डाला इस चूत को, अभय थोड़ा धीरे-धीरे करो उूउउइई। तो फिर मैंने अपना थोड़ा लंड उसकी चूत से बाहर निकालकर एक ज़ोरदार शॉट मारा तो मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत की दीवारों को रगड़ता हुआ उसकी बच्चेदानी से जा टकराया। फिर मैंने देखा कि उसकी आँखों से आँसू झलक आए थे। अब में कुछ देर तक बिना हरकत किए हुए उसके होठों को चूस रहा था। फिर थोड़ी देर के बाद में अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत में अंदर बाहर करते हुए चोदने लगा। अब उसे भी मस्ती आने लगी थी, तो वो बोली कि वाअहहाआआआअ अभय चोदो मुझे, जमकर पेलो, मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है उफफफफफफफ्फ़, तुम तो वाकई में मर्द हो, ज़ोर-ज़ोर से चोदो मेरे राजा, तो मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी।

फिर कुछ ही देर मैंने महसूस किया कि उसकी चूत फड़फडाते हुए चूत रस छोड़ने लगी थी और मेरी चुदाई से पच-पच की आवाज़े आने लगी थी। अब में भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका था, तो तब वो 2 बार झड़ चुकी थी। फिर मैंने भी करीब 10-15 धक्को के बाद उसकी चूत में अपना लंड रस डाल दिया। अब हम दोनों बुरी तरह से पसीने से लथपथ होकर हाँफ रहे थे। फिर हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही पड़े रहे। फिर उसने उठकर अपने पेटीकोट से मेरे लंड और उसकी चूत को साफ किया और अपनी साड़ी पहनकर खेत की और चल पड़े। फिर रास्ते में वो बोली कि अभय आपका बहुत-बहुत शुक्रिया जो आपने मेरी बुझी प्यासी चूत को अपने लगड़े लंड रस से प्यास मिटा दी। अब तुम जब चाहो मुझे चोद लेना और फिर हम दोनों खेत पर पहुँच गये और अब बन्नो का चेहरा खिला हुआ था ।।

धन्यवाद …